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महाराणा प्रताप की जयंती के अवसर पर पर स्वास्थ्य पर विशेष चर्चा डॉ हृदयेश कुमारविश्व पाचन स्वास्थ्य दिवस स्वास्थ्य: पोषण से समृद्ध” है, जो स्वस्थ पाचन तंत्र को योगासनों से मिलता है लाभ डॉ हृदयेश कुमार

अखिल भारतीय मानव कल्याण ट्रस्ट द्वारा बल्लबगढ़ के सिटी पार्क अंबेडकर चौक पर महाराणा प्रताप की जयंती के अवसर पर आमजन के स्वास्थ्य को गंभीरता से लेते हुए सबसे पहले
महाराणा प्रताप की की जीवनी पर प्रकाश डालते हुए बताया स्वास्थ्य पर विशेष ध्यान देना चाहिए अन्यथा अपने स्वास्थ्य के हम स्वयं ही जिम्मेदार होंगे इस अवसर पर डॉ हृदयेश कुमार ने बताया कि विश्व पाचन स्वास्थ्य दिवस स्वास्थ्य: पोषण से समृद्ध” है, जो स्वस्थ पाचन तंत्र को उचित पोषण की भूमिका पर स्वास्थ्य मुख्य रूप में काम करता है
विश्व पाचन स्वास्थ्य दिवस हर साल 29 मई को मनाया जाता है। इस दिन का उद्देश्य पाचन स्वास्थ्य के महत्व का जागरूक करना है। डब्ल्यूजीओ के मुताबिक, पाचन तंत्र शरीर को इस तरह से सहारा देता है,और पौष्टिक आहार विकल्पों को अपनाकर, लोग अपनी जीवन शक्ति और जीवन की गुणवत्ता को बढ़ा सकते हैं।
पाचन स्वास्थ्य समग्र स्वास्थ्य का आधार बनता है, जो न केवल शारीरिक जीवन शक्ति को प्रभावित करता है, बल्कि मानसिक और भावनात्मक संतुलन को भी प्रभावित करता है। कुछ ऐसी आदतें हैं जो आपके पेट और पाचन स्वास्थ्य को बेहतर बनाने में मदद कर सकती हैं।
फल, सब्जियां, फलियां और साबुत अनाज जैसे खाद्य पदार्थ घुलनशील और अघुलनशील फाइबर से भरपूर होते हैं। फाइबर नियमित मल त्याग में मदद करता है, स्वस्थ आंत बैक्टीरिया को पोषण देता है और कब्ज और सूजन को रोकने में मदद करता है।
सही तरीके से चबाने से भोजन छोटे-छोटे टुकड़ों में टूट जाता है और लार में मौजूद पाचन एंजाइमों के साथ मिल जाता है। साथ ही, धीरे-धीरे खाने से अधिक खाने, गैस और सूजन को कम करने में मदद मिलती है।
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विश्व पाचन स्वास्थ्य दिवस की मुख्य थीम “आपका पाचन स्वास्थ्य: पोषण से समृद्ध” है, जो स्वस्थ पाचन तंत्र को सहारा देने में उचित पोषण की भूमिका निभाता है। विश्व गैस्ट्रोएंटरोलॉजी संगठन (डब्ल्यूजीओ) के द्वारा चुनी गई यह थीम संतुलित आहार, पानी और खाने की आदतों के महत्व पर जोर देती है। 2025 का अभियान पाचन समस्याओं का जल्द पता लगाने को प्रोत्साहित करता है और आंत के स्वास्थ्य के बारे में दुनिया भर में बातचीत को बढ़ावा देता है।

विश्व पाचन स्वास्थ्य दिवस की शुरुआत सबसे पहले 2004 में विश्व गैस्ट्रोएंटरोलॉजी संगठन की 45वीं वर्षगांठ मनाने के लिए की गई थी। तब से, यह 98 से अधिक सदस्य देशों और पाचन स्वास्थ्य वकालत और शिक्षा के लिए प्रतिबद्ध 49000 से अधिक पेशेवरों द्वारा समर्थित एक वैश्विक पहल के रूप में विकसित हुआ है।
दुनिया भर में लाखों लोग पाचन संबंधी विकारों का सामना कर रहे हैं, इसलिए यह दिन जागरूकता बढ़ाने, जानकारी साझा करने और लंबे समय तक आंत के स्वास्थ्य के लिए स्वस्थ जीवनशैली विकल्पों को बढ़ावा देने के लिए एक महत्वपूर्ण अवसर के रूप में काम करता है।
पाचन स्वास्थ्य को बेहतर बनाने के लिए इन योगासनों का अभ्यास कर सकते हैं
स्वस्थ पाचन तंत्र के महत्व को समझाता है और जीवनशैली और खानपान में बदलाव के माध्यम से पेट से जुड़ी बीमारियों को रोकने का संदेश देता है। पाचन तंत्र को दुरुस्त करने में योगासन असरदार है।
इस विश्व पाचन स्वास्थ्य दिवस के मौके पर कुछ प्रभावी
इस आसन के अभ्यास से गैस, कब्ज और अपच की समस्या दूर होती है।
पवनमुक्तासन पाचन तंत्र को मजबूत करता है और ब्लोटिंग कम करता है।
ये आसन पेट और जांघों की चर्बी कम करने में सहायक है।
पीठ के बल लेटकर दोनों पैर सीधे रखें।
दाएं घुटने को मोड़कर छाती के पास लाएं और दोनों हाथों से पकड़ें।
सिर उठाते हुए घुटने से नाक मिलाने की कोशिश करें।
10-15 सेकंड तक इस स्थिति में रहें, फिर धीरे-धीरे वापस आएं।
ये प्रक्रिया दूसरे पैर के साथ दोहराएं।
दिन में 3-5 बार करें।

वज्रासन
खाने के बाद बैठने वाला इकलौता योगासन है, जो तुरंत डाइजेशन में मदद करता है।
वज्रासन से एसिडिटी, गैस और कब्ज की समस्या दूर होती है।
इसका अभ्यास पेट की चर्बी कम करने में भी मदद करता है।
खाने के तुरंत बाद 5-10 मिनट वज्रासन करने से पाचन तेज होता है।
घुटनों के बल
पेट के बल लेटकर पैरों को सीधा रखें और हाथों को कंधों के नीचे रखें।
गहरी सांस लेते हुए छाती को ऊपर उठाएं और सिर को पीछे ले जाएं।
इस स्थिति में 15-20 सेकंड तक रहें।
सांस छोड़ते हुए धीरे-धीरे वापस सामान्य स्थिति में आएं।
ये क्रिया 3 से 4 बार दोहराएं।
सभा को संबंधित वेद प्रकाश पाराशर ने किया साथ में सुबोध कुमार साह, शिव शंकर राय, सुष्मिता भौमिक, सपनों का आशियाना ट्रस्ट की संस्थापिका राधिका गुप्ता, लाली देवी रेणु देवी रहीश खान रवि शंकरऔर करिश्मा देवी आदि उपस्थित रहे

जानकारी व जागरूक करने के लिए बताया है। उपरोक्त लेख में उल्लेखित संबंधित बीमारी के बारे में अधिक जानकारी के लिए अपने डॉक्टर से परामर्श अवश्य लें।

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