Blog

सूखे के योद्धा: ये सात वृक्ष बचाएंगे हरियाली और भूजल

बिलासपुर- गहन और गहरी जड़ प्रणाली। स्थिर रखती हैं भूजल स्तर। सबसे बड़ी विशेषता यह कि वानिकी वृक्षों की यह सात प्रजातियां कठोर जलवायु और कठोर भूमि में भी तेज बढ़वार लेती हैं।

छत्तीसगढ़ में ग्रीष्मकालीन तापमान 45 डिग्री सेल्सियस से उपर जा रहा है। साथ ही साल-दर-साल भूजल स्तर नीचे जा रहा है। संकट और भी बढ़ने की आशंका है क्योंकि पौधरोपण की योजना में ऐसी प्रजातियां बाहर हैं, जो न केवल हरियाली बनाए रखतीं हैं बल्कि भूजल का स्तर भी बढ़ाने में मदद करतीं हैं। दिलचस्प बात यह कि यह सातों प्रजातियां उच्च तापमान पर ही तेज बढ़वार लेती है।


उच्च तापमान में उच्च बढ़वार

नीम और अर्जुन। वानिकी वृक्षों की इन दो प्रजातियों के पौधों के रोपण की सलाह इसलिए दी जा रही है क्योंकि गहन और गहराई तक जातीं हैं इनकी जड़ें। नमी बनाए रखने में मदद करने वाले नीम और अर्जुन भूजल स्तर को नीचे नहीं जाने देते। कठोर भूमि और सूखा सहिष्णु इन दोनों को ऐसी ही स्थिति में तेज बढ़वार लेने वाला माना गया है।


बेर, बबूल और सहजन

रेतीली और शुष्क भूमि में ही तैयार होती हैं यह प्रजातियां। सूखा जैसी प्रतिकूल जलवायु में भी तेज बढ़वार लेने वाले यह तीन वृक्ष सबसे कम सिंचाई पानी मांगते हैं। मानव और पशु दोनों की अहम ज़रूरतें पूरी करने वाली यह तीनों प्रजातियां इसलिए ध्यान में लाई जा रहीं हैं क्योंकि इनमें भी हरियाली और भूजल स्तर बनाए रखने की क्षमता का होना पाया गया है।


है नाम इनका पौधरोपण में

करंज और सागौन। सूखा सहिष्णु और आंशिक सूखा सहिष्णु यह दोनों पौधे रोपण में इस वर्ष भी नजर आने वाले हैं। अहमियत इसी से जानी जा सकती है कि करंज के बीज बायोडीजल उत्पादन के काम आ रहे हैं, तो सागौन की गिनती कीमती लकड़ियों में होती है लेकिन इन दोनों में भी सूखा सहनशील और सूखे दिनों में हरियाली बनाए रखने का अहम गुण होता है।


वृक्ष प्रजातियां का चयन अत्यंत महत्वपूर्ण

वर्तमान जलवायु संकट के परिप्रेक्ष्य में वृक्ष प्रजातियों का चयन अत्यंत महत्वपूर्ण हो गया है। जिन प्रजातियों की जड़ें गहरी होती हैं, वे न केवल मिट्टी की नमी बनाए रखती हैं बल्कि भूजल स्तर को भी स्थिर बनाए रखने में सहायक होती हैं। नीम, अर्जुन, बेर, बबूल, सहजन, करंज और सागौन जैसी प्रजातियां कठिन परिस्थितियों में भी तेज़ी से बढ़ती हैं और हरियाली बनाए रखने के साथ-साथ स्थानीय पारिस्थितिकी को भी सुदृढ़ करती हैं। इनका समावेश पौधरोपण योजनाओं में आवश्यक है।

अजीत विलियम्स, साइंटिस्ट (फॉरेस्ट्री), बीटीसी कॉलेज ऑफ़ एग्रीकल्चर एंड रिसर्च स्टेशन, बिलासपुर

Related Articles

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *