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हाईकोर्ट ने आदिवासी शिक्षक के जाति प्रमाण पत्र को निलंबित करने पर रोक लगाई है। जिला स्तरीय जाति प्रमाण पत्र छानबीन समिति ने प्रमाणपत्र निलंबित करने का आदेश दिया था।

याचिकाकर्ता मानसिंह पंडों की नियुक्ति अनुसूचित जनजाति वर्ग के अंतर्गत पंडों जनजाति वर्ग में शिक्षक पद पर हुई थी। वर्तमान में वे शासकीय प्राथमिक शाला चाचीदण्ड में प्रधान पाठक के पद पर कार्यरत हैं। सेवाकाल में उनके विरुद्ध अनुसूचित जनजाति वर्ग के तहत अनुचित लाभ लेने की शिकायत हुई थी। शिकायत पर संज्ञान लेते हुए जिला स्तरीय जाति प्रमाण पत्र छानबीन समिति ने प्रकरण की जांच प्रारंभ की। याचिकाकर्ता को नोटिस जारी कर जवाब प्रस्तुत करने का आदेश दिया। याचिकाकर्ता ने पंडों जनजाति होने संबंधी दस्तावेज प्रस्तुत किए। जवाब से असंतुष्ट होकर जिला स्तरीय समिति ने याचिकाकर्ता के जाति प्रमाण पत्र को अमान्य घोषित कर दिया तथा अनुसूचित जनजाति वर्ग संबंधी प्रमाण पत्र को निलंबित करने का आदेश पारित कर दिया।

जिला स्तरीय समिति सिर्फ अनुशंसा कर सकती है राज्य कमेटी को:–
कार्रवाई के विरुद्ध मानसिंह पंडों ने अधिवक्ता सुशोभित सिंह के माध्यम से हाईकोर्ट में याचिका दायर की। याचिका में बताया कि छत्तीसगढ़ अनुसूचित जाति अनुसूचित जनजाति पिछड़ा वर्ग सामाजिक परिस्थिति प्रमाण नियम के नियम 1ई के अनुसार जिला स्तरीय समिति केवल हाई पावर राज्य स्तरीय जाति प्रमाण पत्र छानबीन समिति को अनुशंसा प्रेषित कर सकती है। विस्तृत जांच उपरांत राज्य समिति ही जाति प्रमाण पत्र पर अंतिम निर्णय ले सकती है। जिला स्तरीय समिति को जाति प्रमाण पत्र को निलंबित अथवा स्थगित करने का निर्देश देने का क्षेत्राधिकार नहीं है।सुनवाई के बाद कोर्ट ने अनुविभागीय अधिकारी द्वारा पारित आदेश पर रोक लगाते हुए शासन सहित अन्य प्रतिवादियों को नोटिस जारी कर जवाब प्रस्तुत करने का आदेश दिया है।

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