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16 साल से स्कूल गायब, फिर भी वेतन चालू…शिक्षक अगस्टीन थियोडोर सिंह अधीक्षक बनकर मजे में….शिक्षा विभाग की चुप्पी शर्मनाक

गौरेला-पेण्ड्रा-मरवाही।
शासकीय पूर्व माध्यमिक शाला, जोगीसार में शिक्षा व्यवस्था की बदहाली और अफसरशाही की मिलीभगत का खुला उदाहरण सामने आया है। यहां पदस्थ शिक्षक अगस्टीन थियोडोर सिंह पिछले लगभग 16 वर्षों से स्कूल में गैरहाजिर हैं — और सबसे हैरान करने वाली बात यह है कि इतने वर्षों से पूरे वेतन का भुगतान होता रहा है, मानो सब कुछ सामान्य हो!

शिक्षक की जगह अधीक्षक की कुर्सी संभाल रखी है!

शिक्षक का मूल काम है पढ़ाना – लेकिन श्री अगस्टीन थियोडोर सिंह ने खुद को शिक्षा से दूर कर नवीन पोस्ट मैट्रिक बालक छात्रावास, गौरेला में अधीक्षक पद पर जड़ें जमा ली हैं, जबकि यह गैर-शैक्षणिक कार्य है। यह छात्रावास स्कूल से 20–25 किलोमीटर दूर है, यानी छात्रों की जरूरत से कोसों दूर!

16 साल से गैरहाजिर, और स्टाफ तक पहचानता नहीं

वर्तमान में विद्यालय में लगभग 110 विद्यार्थी दर्ज हैं, लेकिन शिक्षक की अनुपस्थिति से पढ़ाई बुरी तरह प्रभावित है। हालत यह है कि विद्यालय स्टाफ के कई शिक्षक अगस्टीन सिंह को पहचानते तक नहीं, क्योंकि उन्होंने स्कूल का मुंह तक नहीं देखा। इसके बावजूद उनका पूरा वेतन सरकारी खाते से जारी हो रहा है।

बीईओ को दी गई लिखित सूचना – फिर भी कार्रवाई शून्य

विद्यालय प्रबंधन समिति एवं पालकगणों ने इस गंभीर स्थिति को लेकर पांच दिन पूर्व विकासखंड शिक्षा अधिकारी (BEO) को लिखित शिकायत दी थी। लेकिन न कोई जांच, न स्पष्टीकरण, न ही स्थानापन्न शिक्षक की नियुक्ति — क्या बीईओ की चुप्पी जानबूझकर है?

सवाल उठते हैं – जवाब कौन देगा?

क्या शिक्षक होकर अधीक्षक बनना नियम विरुद्ध नहीं?

बिना उपस्थिति के 16 वर्षों तक वेतन जारी करना – क्या यह घोटाला नहीं?

क्या शिक्षा विभाग इस लापरवाही में खुद भी हिस्सेदार है?

पालकों की मांग: या तो लौटाओ शिक्षक, नहीं तो हटाओ!

विद्यालय प्रबंधन समिति ने स्पष्ट चेतावनी दी है — या तो श्री अगस्टीन थियोडोर सिंह को तत्काल स्कूल में भेजा जाए, या उनके स्थान पर अन्य शिक्षक की नियुक्ति की जाए।
अन्यथा पालकगण जिला स्तर पर आंदोलन, लोकायुक्त शिकायत और विधानसभा प्रश्न तक की तैयारी में हैं।
📌 क्या शिक्षा का मतलब सिर्फ फॉर्म भरना और वेतन लेना रह गया है?
क्या अफसरशाही इतने वर्षों तक एक स्कूल को अंधेरे में डाले रख सकती है?
अब जवाबदेही तय करने का समय है।

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