सत्यम निकेतन ने बिखेरी विभिन्न प्रांतों की सांस्कृतिक छटा

नुक्कड़ नाटक ‘कलकत्ता केस’ ने बहायी दर्शकों के आँखों से अश्रुधारा
बिलासपुर। उन्नत शिक्षा अध्ययन संस्थान बिलासपुर में आयोजित सांस्कृतिक महोत्सव के तृतीय दिवस प्राचार्य प्रो. मीता मुखर्जी के संरक्षण और प्रभारी आचार्य वृंद डॉ. बी व्ही रमणा राव,श्रीमती प्रीति तिवारी, डॉ. नीला चौधरी, डॉ. विद्याभूषण शर्मा,श्रीमती सोनल जैन के कुशल निर्देशन में सत्यम निकेतन ने भारतीय संस्कृति, कला और परंपराओं का अनोखा संगम प्रस्तुत किया। इस भव्य आयोजन में संगीत, नृत्य, नाटक और लोक कलाओं की विविध विधाओं ने दर्शकों को मंत्रमुग्ध कर दिया।कार्यक्रम का शुभारंभ सरस्वती वंदना “तेरी वीणा की बन जाऊँ तार” से हुआ, जिसमें सरस्वती रिति राठौर और नम्रता कुर्रे की नृत्य प्रस्तुति और सरस्वती, अर्चना पांडेय की गायकी ने एक दिव्य वातावरण का निर्माण किया। इसके बाद लावणी नृत्य में अल्का शर्मा ने अपनी सजीव प्रस्तुति से महाराष्ट्र की सांस्कृतिक छवि को मंच पर साकार किया।

बिहु नृत्य की प्रस्तुति में रजनीगंधा, ज्ञानदेवी, श्रद्धा, पल्लवी और कमलेश्वरी ने असम की सांस्कृतिक धरोहर को दर्शाया। लोकगीत “महिला हमसे बलम की ऐसी बिगड़ी…” ने अंजना चाकी एवं साथियों के मधुर स्वरों से दर्शकों को लोक संगीत के जादुई संसार में प्रवेश कराया।
तत्पश्चात प्रस्तुत हुआ नाटक “यम-नचिकेता संवाद”, जिसमें देवनाथ, मुकेश, अशोक, अंकुर और दीपक ने अपने सशक्त अभिनय से जीवन और मृत्यु के गूढ़ संदेश को सरलता से प्रस्तुत किया। वहीं मिमिक्री के रूप में देवनाथ महेश की हास्यपूर्ण और अनोखी प्रतिभा ने दर्शकों को हंँसी से लोटपोट कर दिया। लोक कला की बारीकियों को उजागर करते हुए, पुरुषों का संबलपुरी लोकनृत्य दीपक, सूरज, कोमल, अशोक और ओंकार ने प्रस्तुत किया, जबकि महिला गिद्दा नृत्य में श्रद्धा, ज्ञानदेवी, अफसाना, पल्लवी और अन्य प्रतिभागियों ने पंजाब की जीवंतता को दर्शाया। गौरी-गौरा बिहाव गीत, जिसमें अमर सिंह मरावी, संतोष कुर्रे, प्रहलाद टंडन और अन्य गायकों ने अपने सुरों से छत्तीसगढ़ की लोक संस्कृति को जीवंत किया। नुक्कड़ नाटक (कोलकाता केस) ने श्रेया, भारती, ज्ञानदेवी और अन्य कलाकारों के अभिनय से सामाजिक समस्याओं पर गहराई से विचार करने का अवसर दिया और दर्शकों की आँखे नम की। वहीं छत्तीसगढ़ी रिमिक्स नृत्य ने सूरज, दीपक, प्रवीण और अन्य कलाकारों की प्रस्तुति से दर्शकों में जोश और उत्साह भर दिया।

कार्यक्रम का समापन “चंदन है इस देश की माटी” गीत से हुआ, जिसने देशभक्ति की भावना को प्रबल किया।
सत्यम शर्मा, नवीन अग्रवाल और श्रेया मिश्रा के मंच संचालन ने पूरे कार्यक्रम को सहज और प्रभावी बनाया। यह आयोजन न केवल एक सांस्कृतिक उत्सव था, बल्कि भारतीय परंपराओं और मूल्यों को सहेजने का एक अद्वितीय प्रयास भी रहा।
कार्यक्रम में निर्णायक की महती भूमिका का निर्वहन कला विशेषज्ञ द्वय डॉ. ए के पोद्दार एवं श्रीमती सरिता आयदे ने निभाई।
इस संदर्भ की जानकारी संस्था के आचार्य करीम खान ने दी।