मस्तूरी के भनेसर में स्थित होराइजन कोल बेनिफिकेशन की सुनवाई और कार्यवाही पर सनसनीखेज खुलासा

छत्तीसगढ़ बिलासपुर। ग्राम पंचायत भनेसर,तहसील मस्तूरी जिला बिलासपुर छत्तीसगढ़ इन दिनों सुर्खियां बटोर रहा है वजह मेसर्स होराइजन कोल बेनिफिकेशन प्राइवेट लिमिटेड का स्थापित किया जाना है।
ऐसा कहा जा रहा है कि पर्यावरण स्वीकृति के लिए 28/09/2022 को दोपहर 12 बजे जयराम नगर स्टेडियम जयराम नगर तहसील मस्तूरी जिला बिलासपुर एक लोकसुनवाई आयोजित करनें से पहले ही क्षेत्र के दलाल कोलवाशरी संचालक से सांठगांठ कर के विरोध को कुचलने का षड्यंत्र रचा गया था।
जागरूक ग्रामीणों की मानें तो षड्यंत्र रचे जाने का साक्ष्य कार्यवाही विवरण से स्पष्ट होता है कि लोक सुनवाई में लगभग 250-300 लोगों की उपस्थिति बताया गया। जिसमें महज 17 से 18 लोग ही ग्राम पंचायत भनेसर के निवासी थे। जिन्होंने कोलवाशरी खोले जाने का समर्थन किया था।
लोकसुनवाई स्थल पर 49 आवेदन पत्र प्राप्त हुए। प्राप्त आवेदनों पर क्या कुछ कार्यवाही हुई आवेदक को भी जानकारी नहीं है।
लोकसुनवाई के दौरान 92 लोगों द्वारा मौखिक सुझाव/विचार/टीका टिप्पणी एवं आपत्तियां दर्ज की गई। जिसे लिखित रूप में रखा गया। जो कार्यवाही का हिस्सा बन गया। लेकिन निराकरण के नाम पर केवल मौखिक रूप से आश्वासन दिया गया।
लोक सुनवाई में उपस्थित लगभग 300 लोगों की उपस्थिति के बाद भी कार्यवाही के दौरान रखे गए उपस्थिति पत्रक पर 104 लोगों द्वारा ही हस्ताक्षर किया गया।
आयोजित लोक सुनवाई की वीडियोग्राफी एवं फोटोग्राफी कराई गई।
महत्वपूर्ण बात यह कि यह पर्यावरण की स्वीकृति के नाम पर यह लोकसुनवाई महज 2 घण्टे 40 मिनट में पूर्ण हो गई। और आश्चर्य की बात यह कि परियोजना प्रस्तावक की ओर से परियोजना के संबंध में लोकसुनवाई के दौरान मुख्य मुद्दों के निराकरण हेतु,उपस्थित जन समुदाय को समझाने में केवल 10 मिनट का समय लगा।
उपरोक्त कार्यवाही में उपस्थित 92 लोगों में 18 लोग भनेसर ग्राम के थे जिन्होंने कोलवाशरी के खोले जाने का समर्थन किया।
जिन लोगों नें उद्योग लगाने का विरोध किया वो आसपास गाँव के जागरूक नागरिक थे भनेसर ग्राम के नहीं।
बनाई गई ई. आई. ए. रिपोर्ट हिंदी एवं अंग्रेजी भाषा में जन सामान्य के अवलोकन एवं पठन के लिए कलेक्टर कार्यालय सहित अन्य जगहों पर रखा गया था।
सूचना प्रकाशन जारी होने के दिनांक से 30 दिन के अंदर पर्यावरण विभाग को 8 आवेदन पत्र प्राप्त हुआ था। आवेदन पक्ष में था या विरोध में इस बात की जानकारी उपलब्ध नहीं है।
अंत में बस इतना कि विकास की योजनाओं को जमीन पर जाकर देखना मना है क्योंकि कागज पर तैयार योजनाओं की जमीनी हकीकत कुछ और ही बयां करती नजर आती हैं।